Column : Bhula Do
Author : Ankit Kumar Aggarwal
तुमको पता है लाश डूबती क्यूँ नही,
क्यूँकी ए दोस्त डूबने क लिए भी जिंदगी चाहये.!!!
मिली है जिंदगी तो इसकी इज्ज़त रखो
खुद खुश रहो और सबको खुश रखो
इबादत इजाज़त मे यकीन नही है तो क्या
जिंदगी मे तो यकीन रखो
कल मिले या ना मिले ये सूरज
आज तो रोशनी का दामन साथ रखो!!!
याद रखना मेरे दोस्त :
होता है अपनी आँख का आँसू भी बेवफा,,
वो भी निकलता है तो किसी और के लिए.. .. .
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