आज से 100 बरस पहले यानी 14 अप्रैल 1912 की रात 11:40 पर रॉयल मेल सर्विस टाइटैनिक या आरएमएस टाइटैनिक पहली बार अटलांटिक सागर में तैरती बर्फ से टकराया था.
महज कुछ घंटों में 15 अप्रैल तड़के 2:20 पर टाइटैनिक डूब गया, उस समय वह किनारे से 600 किलोमीटर दूर था. उस पर सवार 2,224 लोगों में से सिर्फ 710 बच पाए. यह टाइटैनिक का पहला सफर था.
इस तरह टाइटैनिक जिसे कभी न डूबने वाला जहाज कहा जाता था, हजारों सपने साथ लेकर सागर के तल में 3,784 मीटर नीचे दफन हो गया.
टाइटैनिक से जुड़े कुछ तथ्य
269 मीटर की ऊंचाई वाले टाइटैनिक को अगर सीधा खड़ा किया जाता तो यह अपने समय की हर इमारत से ऊंचा बैठता.
टाइटैनिक की चिमनियां इतनी बड़ी थीं कि इनमें से दो ट्रेनें गुजर सकती थीं.
इसमें तीन विशाल लंगर या एंकर थे, जिनका वजन 20 कारों के बराबर था.
टाइटैनिक से पहले किसी ओशनलाइनर में स्विमिंग पूल नहीं था.
ब्रिटेन में साउथैम्पटन बंदरगाह छोड़ते ही वह एक छोटे जहाज से टकराते-टकराते बचा था.
टाइटैनिक में कभी भी फुल लाइफबोट ड्रिल नहीं हुई थी.
टक्कर वाले दिन टाइटैनिक को छह आइसबर्ग वॉर्निंग मिली थीं.
टाइटैनिक में सभी पैसेंजरों के लिए लाइफबोट नहीं थीं. इनमें केवल एक तिहाई पैसेंजर ही बैठ सकते थे.
बहुत सारी लाइफबोट आधी भरी हुई थीं, तभी उन्हें पानी में उतार दिया गया.
इन लाइफबोटों में बैठे मुसाफिरों को दूर से गुजर रहे कारपैथिया नामके जहाज ने बचाया. हालांकि पास ही से गुजरे जहाज कैलिफॉर्नियन ने खास ध्यान नहीं दिया.
टाइटैनिक के असली हीरो
माग्ररेट 'मॉली' ब्राउन: माग्ररेट कॉलराडो के एक चांदी के उद्योगपति की बीवी थीं और टाइटैनिक पर सवार थीं. टक्कर के बाद उन्होंने लोगों को लाइफबोटों पर बैठने में मदद की. बाद में मुसाफिरों की जिद पर वह लाइफबोट में सवार होकर बचाव कार्य में लगे जहाज कारपैथिया पर पहुंची. वहां पहुंचकर उन्होंने जिद की कि दूसरे मुसाफिरों को बचाने फिर से लाइफबोट डूबते हुए टाइटैनिक के पास जाए. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें अनसिंकेबल मॉली ब्राउन कहा जाने लगा.
मिस्टर ऐंड मिसेज स्ट्रॉस: इसाडोर स्ट्रॉस (67) और उनकी पत्नी इडा (63) टाइटैनिक के मुसाफिरों में से एक थे. ये दोनों जर्मन प्रवासी थे और 1912 में जर्मन जहाज अमरीका से यूरोप गए थे. दोनों ने वापसी में टाइटैनिक से लौटने का फैसला किया. टक्कर के बाद पहले लेडीज पैसेंजरों को लाइफबोट में बैठाया जा रहा था, लेकिन इडा ने यह कहते हुए इसाडोर का साथ छोड़ने से मना कर दिया कि अब तक साथ जिए हैं तो साथ ही मरेंगे. बहुत समझाने पर भी इडा नहीं मानीं और अपनी मेड एलन बर्ड को अपनी जगह बोट में बैठा दिया. इसके साथ ही अपने गर्म कपड़े भी उसे दे दिए. आखिरी बार इसाडोर और इडा को टाइटैनिक के बोट डेक पर एकदूसरे के पास बैठे देखा गया. बाद में इसाडोर का तो शव मिल गया, लेकिन इडा का नहीं मिल पाया.
जिस समय टाइटैनिक डूबा उसी समय स्ट्रॉस का बड़ा बेटा जेसी इसाडोर अमरीका नाम के शिप से पैरिस लौट रहा था. वह फ्रांस में अमेरिका का राजदूत था. उसके जहाज अमरीका ने टाइटैनिक को आइस वॉर्निंग भेजी थी, खुद जेसी ने भी अपने माता-पिता को टेलिग्राम भेजा था कि रास्ते में बर्फ दिखी है.
अजब-गजब अटकलें
न डूबने वाले टाइटैनिक के डूबने के बाद तमाम बातें सामने आईं कि ऐसा क्यों हुआ. एक यह बात भी समाने आई कि टाइटैनिक के कैप्टन अपनी पहली यात्रा में रिकॉर्ड टाइम में न्यूयॉर्क पहुंचना चाहता था. अंधाधुंध स्पीड की वजह से यह टक्कर हुई. कुछ ऐसी और अटकलें हैं:-
आइसबर्ग नहीं पैक आइस से हुई टक्कर
टाइटैनिक नॉर्थ पोल से अलग हुई बर्फ की चादर या पैक आइस टकराया. चूंकि इसकी ऊंचाई ज्यादा नहीं होती, इसलिए यह टाइटैनिक के क्रू को नहीं दिखी.
कोयले में आग जिम्मेदार
एक दावे के मुताबिक कोयल के स्टोर में आग लग गई थी. आग फैलने से रोकने के लिए इस कोयले को भट्ठी में डाला गया. इससे जहाज की स्पीड कंट्रोल से बाहर हो गई.
टाइटैनिक कभी डूबा ही नहीं
इस विवादास्पद दावे के मुताबिक टाइटैनिक की कंपनी वाइट स्टार लाइन का ठीक टाइटैनिक जैसा ही एक और जहाज ओलिंपिक था. इसकी इंश्योरेंस की रकम पाने के लिए टाइटैनिक के नाम पर इसे डुबोया गया. असल टाइटैनिक 25 साल तक ओलिंपिक की जगह काम करता रहा.
ममी का कहर
एक थ्योरी कहती है कि जर्नलिस्ट विलियम थॉमस स्टीड इजिप्ट की पुजारन आमन-रा की शापित ममी को ब्रिटिश म्यूजियम से खरीद कर अमेरिका ले जा रहा था. उसने इसे अपनी कार में छिपा रखा था. यह बात उसने अपनी साथी पैसेंजरों को बताई थी. यह ममी दुर्भाग्य लाने के लिए बदनाम थी.
टाइटैनिक मूवी
1997 में आई फिल्म टाइटैनिक के डायरेक्टर, प्रड्यूसर जेम्स कैमरन को टूट हुए जहाजों की कहानी से बड़ा लगाव है. 1995 में उन्होंने टाइटैनिक के मलबे पर डॉक्युमेंटरी बनाई थी, इसी से इस फिल्म की शुरूआत हुई. इस फिल्म में लियोनार्डो डीकैप्रियो और केट विंस्टलेट मुख्य भूमिका में थे. फिल्म जबर्दस्त हिट हुई. अप्रैल 2012 में इसका 3-डी वर्जन लाया गया जो और भी सुपरहिट साबित हुआ.
इस फिल्म को ऑस्कर अवॉर्ड्स में 14 कैटिगरी के लिए नॉमिनेशन मिला था और 11 में इसे ऑस्कर मिला. लेकिन हैरानी की बात है कि लियोनार्डो और केट को कोई अवॉर्ड नहीं मिला.
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