तलाश


उफ्फ!!! ये घना सा कोहरा
फिर भी रास्ता स्थिर है!
चल रहा है विचारो का मंथन
उमीदे सजग है!
एक सफेद चादर छाई है नभ में
विचारो पर जैसे धूल जमी हो,
एक और साल गुजर गया
वक़्त को मानो पंख लगे हो,
आकाँशा-ए बहुत है पर समय नही,
उमीद है विचारो पर अब उनको जगाना है,
वक़्त को मानो बंदी बनाना है,
जो छूट गया उसे भूलाना है,
इस घने कोहरे ने खुद को तलाश पाना है!! #AKA
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2 comments

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Surbhi Bafna
admin
March 19, 2013 at 8:59 AM ×

वक़्त को मानो पंख लगे हो,
आकाँशा-ए बहुत है पर समय नही,
उमीद है विचारो पर अब उनको जगाना है,

sundar abhivyakti. shabd jab bolte hai to unki gunj dur tak sunai deti hai. :)


Silly Smiles... Take you Miles :)

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