उठा तो


author : kamal bhatt

column : kamal ki kalam se...
उठा तो देखा "मैं" भी अपने साथ आज उठ ही गया...
गीले बालो को सरसो के तेल से आजादी देकर मैने भी gel लगाया .....
headphone पे १४३ बार बजते बोल.....’.देश में निकला..."
जगजीत साहब के बैठे गले को छोड़ कर...
सुना लकड़ी सी आवाज मे गाते १ अठारह साल के लडके को..
आज १४ महीनो मे पहली बार १ का सिक्का निकाला और center fresh खरीदा...
लीटर भर पसीने से नहाए ४ पन्नो के साथ....
लोकल के दरवाजे पे लटके हुए...
कुछ गप्पें मारी Conductor से..
और  फिर से साथ आ गए हैं..
चौधरी के गोलगप्पे, कालू सिंघ के मीठे समोसे..
टेड़ी बाजार की जलेबी...
और अपनी गली में पहली Square drive...
 कुछ गूंज रहा है..
"कमीने तू हमेसा पहले Batting करता है.."
"बेटे देख लेना.. मरेगा..."
"चल यार हिमान दा को क्या पता चल रा..."
"अन्दर माता के पीछे मैने ४ सेब रखे हैं, निकाल ला.."
"साले जल्दी छक्का मार.
शक्तीमान आ गया होगा...".....
"भाई साहब उतरो जल्दी...
गुरुकुल आ गया..."
हां अब शायद उतरने का समय आ गया है.
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